बस ख़्वामख़्वाह
सुनाने दो मुझको
फिर से अपनी कहानी थोड़ी
पहली दफा यूँ
मैं निकला हूँ
किसी रस्ते पर
खुद के बग़ैर
हूँ गुमराह
सुनाने गो मुझको
फिरसे अपनी कहानी थोड़ी
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हसीं हादसों से मैंने बनाया था
प्यार से एक घरौंदा मेरा
चमकते चहकते थे मौसम सारे
आकर देख घरौंदा मेरा
जबसे निकला हूँ
भूल गया हूँ
हिस्से वो किस्से वो
सारे मेरे
किसी लम्हे से
होते हुए
शायद टकराऊँ
फिर खुद से
दे दो पनाह
सुनाने दो मुझको
दो पल अपनी कहानी थोड़ी
बेपरवाह
सुनाने दो मुझको
फिर से अपनी कहानी थोड़ी
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