Friday, February 05, 2016

289. याद करना

मुझको जब याद करना
बस बेसबब याद करना
तरसते दिन याद करना
बरसते शब याद करना

सुर तोलते थे कभी, पर खोलते थे कभी;
सारे बेताब तलब, मेरे लब याद करना

ताने तराने फसाने, आने जाने के बहाने;
कितनी जानें थी तुम वो सब याद करना

सिर्फ आवाज़ ओढ़के तेरी लेटा रहता था मैं
ज़र्द-ओ-सर्द रातें कभी, बेअदब याद करना

इशारों निगाहों की क़ैफ़-असर ज़बाँ तुम,
सुनो जब-जब जहाँ,
मुझको तब याद करना

मुझको जब याद करना
बस बेसबब याद करना

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