Wednesday, February 17, 2016

293. ये शहर अपना

कोहरे का पहरा
रोशनी का मेला
ये शहर अपना

लहरों पे ठहरा
चाशनी का टीला
ये शहर अपना

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फींके थे जब हम
इश्क़ करके जी लिए

सूखे थे जब हम
अश्क़ भरके पी लिए


दिलों का काफिला
दिलजलों का ज़िला
ये शहर अपना

लहजा मासूम सा
कैफ़ियत का किला
ये शहर अपना

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भीड़ में भी बरकतें
तलाशते थे हम भी

होश खोके हसरतें
उतारते थे तुम भी


रंग-ओ-बू पहना
अनोखा मिला
ये शहर अपना

लेके सफ़र मैला
छोड़के चला
ये शहर अपना

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Leaving home - Mumbai.

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