Monday, March 21, 2016

298. चलो चलें

चलो चलें
चलो चलें
अपने रुकने का कोई फ़ायदा नहीं

चलो चलें
चलो चलें
उनके लौटने का कोई कायदा नहीं



उलट-पलटके रख दिया
जो भी हमें जहाँ मिला
उथल-पुथल भटक गया
जो राह में जहाँ मिला

दिल जलाके दिन ढला
चलो चलें
चलो चलें



बुज़ुर्ग सी कहानियों का
ज़िक्र करते हैं हम
यूँ सुर्ख सी निशानियों पे
फक़्र करते हैं हम

बता ज़रा यूँ क्यूँ भला
चलो चलें
चलो चलें



यादों में इक जहाँ है
जिसमे अब कोई जगह नहीं
यादों में जो जहाँ है
उसकी अब कोई वजह नहीं

फ़िज़ूल है ये सिलसिला
चलो चलें
चलो चलें

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