जाने को कहते हो मुझे पर मैं अगर जाऊँ
इतना तो बता दो के आखिर अब किधर जाऊँ
मेरी ख़ामियों गुस्ताखियों से है वजूद मेरा
क्या पहचान सकोगे मुझे जो मैं सुधर जाऊँ
--
An incomplete impatient thought
इतना तो बता दो के आखिर अब किधर जाऊँ
मेरी ख़ामियों गुस्ताखियों से है वजूद मेरा
क्या पहचान सकोगे मुझे जो मैं सुधर जाऊँ
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An incomplete impatient thought
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