Tuesday, July 12, 2016

326. जाऊँ...

जाने को कहते हो मुझे पर मैं अगर जाऊँ
इतना तो बता दो के आखिर अब किधर जाऊँ

मेरी ख़ामियों गुस्ताखियों से है वजूद मेरा
क्या पहचान सकोगे मुझे जो मैं सुधर जाऊँ

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An incomplete impatient thought

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