Friday, July 22, 2016

329. अखबार

पीले ये कागज़
काली सियाही
खा लिए कागज़
पी ली सियाही

देखे कहे दास्ताँ निगलते हैं अखबार

ज़रा सोच समझके रहियो
भूखी आँखों से बचके रहियो

सच्चाई दबाके
शिकार मारे
कच्चा ही चबाके
डकार मारे

यूँ ही नहीं दास्ताँ उगलते हैं अखबार

ज़रा सोच समझके रहियो
भूखी आँखों से बचके रहियो



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