Friday, September 30, 2016

342. देख जा

पास आके जा
सांस पाके जा
मेरी जाँ

देख जा
मेरा अजब सा जहाँ
देख जा
मेरा  गज़ब सा जहाँ

--

दिलों की दलीलों की दिलचस्पियाँ हैं
दिलकश सी कशिश है बहुत खुशनुमा है
मगर फिर भी गुमसुम सा ग़म का गुमाँ है

तू आके कभी
मेरी

दास्ताँ ये, हाँ

आज़माके जा
पास आके जा
सांस पाके जा
मेरी जाँ

देख जा
मेरा अजब सा जहाँ

--

मेरा इक फ़लक है छलकता टपकता
शाखों पे पाँव रखता संभलके सरखता
जो छिपाके हूँ रखता वो पल में परखता

तू आके कभी
मेरा

आसमाँ ये, हाँ

आज़माके जा
पास आके जा
सांस पाके जा
मेरी जाँ

देख जा
मेरा  गज़ब सा जहाँ

--
I think this is what Seattle sings to me, invitingly ever so often.

She talks
about her sky which leaks and drips
and cautiously slips off trees
and critiques her secrets

She talks about the happy beautiful appeal She exudes
and the curious stories of convoluted hearts that inhabit her
and the persistent hint of silent inexplicable melancholy

and She invites me lovingly
to come closer
try out her stories and skies
and find my breath again

Friday, September 23, 2016

341. Font


अब भी
कुछ लिखके
कभी भेज दिया करो न
lovely

मुझे याद है

इक ज़माना था
जब तुम मुझे
खत लिखा करते थे
बहुत

कभी fridge पे
घर से निकलते निकलते
मेरे लिए note छोड़ा करते थे
कुछ याद दिलाने को

प्यार से
ऊँगली से
आँगन की मिट्टी  पे
मेरा नाम लिखा करते थे

तेरी तहरीर से
तेरा चेहरा
तेरा लहजा
छलकता था

हिंदी में लिखते थे
तो अलफ़ाज़ ऐसे लगते थे
जैसे किसी डाली से
बूँदें लटक रहे थे
इत्मेनान से इंतज़ार करते हुए
मेरी आँखों में बरसने को

तेलुगु (తెలుగు) में लिखते थे
तो हर्फ़ ऐसे सूझते थे
जैसे गोल गोल बुलबुलो में
जज़बात फूंकके
बिखेरे हो तुमने
कागज़ पे

अंग्रेजी (english ) में लिखते थे
तो लगता था
जैसे उड़ती हवा के हाथों
रेत में लकीरें बनी हो

कभी जल्दबाज़ी में लिखते थे
तो
ऐसे लगता था
जैसे भागने की कोशिश
कर रहे थे
लफ्ज़
मेरी नज़र से
और इक अरसा
लग जाता
इनका पीछा करते करते
इनका मतलब समझते सुलझाते

कभी
तेरी आंसुओं में
सियाही घुल जाती
और तेरी बातें धुंधलाई सी
पहुँचती थी
मेरे यहां
और तेरी उदासी
कागज़ से उतरके
मेरे कमरे में भर जाती

आजकल तुम
मुझे email और text
बहुत भेजते हो

handwriting
बहुत miss करता हूँ
मैं तेरी

मेरे पर्दो के
सुन्दर font में
तेरी बातें बहु आम लगते हैं
बाकी सभी के
जैसे

तेरी तहरीर में
जादू है
lovely

क्यों
छुपाये रखते हो

अब भी
कुछ अपनी हाथों से लिखके
कभी भेज दिया करो न

shopping list भी चलेगा
:)

Wednesday, September 07, 2016

340. वक़्त


वक़्त भी
अजीब है

दर्द तो
वक़्त में डूब डूबके
और भी संगीन
हो जाता है

और हँसी है की
वक़्त से
लग लगके
घिस जाती हैं

एक ही हादसे
पे हम
कितने मर्तबा
रोये जाते हैं

पर
किसीको
एक ही मज़ाक पे
दुबारा हँसते हुए
देखा है कभी?

339. Contrasts

his stories
speak of
streets and staircases

his stories
smell of
spices and stains and stillness

he sings of
fields and fences and felonies

he croons of
feelings and faint nostalgia and foreverness

he is all details
inhabiting
colored pixels

he is abstract
wading through
gloops of paint

his reality
seeks asylum
in his gritty brown heart

his restlessness
soars alive
in his infinite black eyes

how could
they not
be in love

ah
the inevitable attraction of opposites

--

(in two days
he and he
would have been married for two years!
can you believe that?!)

a link to the first bold and italics
http://glistening-shadows.blogspot.com/2009/10/charmer-charmed.html


338. Pictures

please
don't leave me alone
here

as soon as you leave
they start breathing
these pictures
hanging on the walls
they start coming alive

their screaming eyes
follow me
everywhere
I go

they rant
all your secrets
all their regrets
even when I don't want to know anymore

they talk a lot
these pictures

don't leave me here
alone

please

337. तस्वीरें

मुझे
अकेले न छोड़ो
यहां

जब भी तुम चले जाते हो
सांस लेने लगती हैं
तस्वीरें
जो टंगे हैं दीवारों पर
ज़िंदा होने लगती हैं

इनकी चीखती नज़रें
पीछा करती हैं
मेरी
हर कहीं

सारे राज़ तेरे
सारे अफ़सोस अपने
बताती हैं मुझे
जबरदस्ती

बड़ी बातूनी हैं
ये तस्वीरें
तेरी

यहां
अकेले न छोड़ो
मुझे

336. Reciprocal metaphors

his voice
was like a persuasive breeze
blowing through the audience
their hands waving in unison
like blades of grass swaying in tandem

the breeze
was like hypnotic music
making the blades of grass
sway in tandem
like hands raised at a concert

--
Seattle summers 
hikes and outdoor concerts

335. A craving

come
babu
let me show you
my collection

these on this side
dark and hard
yes these
they are my
stone memories

each time
I remember them
my heart sinks heavy
under their weight
my stone memories

this bunch here
yes
brown and green
fragrant and inviting
these are my
wooden memories

I seek them to feel light
they help me stay afloat
my wooden memories

but
today
right now
I crave something
different
I don't want to sink or float
I wish to soar

will you
please
blow some love
into this moment
and turn it into
a helium balloon memory

will you
please
blow me a kiss?

334. Bombay और Barrow

इक शहर था
मेरा

याद है?
जहाँ हर रोज़
दिन भर
धूप में
बैठे बैठे
मोम के मंज़र
शाम तक
पिघल जाते थे

निकल  जाते थे
बाक़ायदा

और रात के अँधेरे में
फिर बनते जमते थे
नए वाले
बिलकुल हूबहू

और इक शहर है
तेरा
lovely
जहां महीनों दिन टंगा रहता है
आसमाँ पे

ज़िद्दी धूप में
चमकते रहते हैं मंज़र
बेअदब से

बेक़दर से
जगाये रखते हैं मुझे
महीनों

और फिर अचानक से
ग़ुम हो जाते हैं
अंधेरों में

थके से सोये रहते हैं
महीनों

मेरे यहां के पहर
कितने पाबन्द थे

और तुम्हारे यहां के -
बिलकुल ही बदतमीज़

इन्हें तुम कुछ सिखाते क्यों नहीं?