Friday, September 30, 2016

342. देख जा

पास आके जा
सांस पाके जा
मेरी जाँ

देख जा
मेरा अजब सा जहाँ
देख जा
मेरा  गज़ब सा जहाँ

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दिलों की दलीलों की दिलचस्पियाँ हैं
दिलकश सी कशिश है बहुत खुशनुमा है
मगर फिर भी गुमसुम सा ग़म का गुमाँ है

तू आके कभी
मेरी

दास्ताँ ये, हाँ

आज़माके जा
पास आके जा
सांस पाके जा
मेरी जाँ

देख जा
मेरा अजब सा जहाँ

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मेरा इक फ़लक है छलकता टपकता
शाखों पे पाँव रखता संभलके सरखता
जो छिपाके हूँ रखता वो पल में परखता

तू आके कभी
मेरा

आसमाँ ये, हाँ

आज़माके जा
पास आके जा
सांस पाके जा
मेरी जाँ

देख जा
मेरा  गज़ब सा जहाँ

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I think this is what Seattle sings to me, invitingly ever so often.

She talks
about her sky which leaks and drips
and cautiously slips off trees
and critiques her secrets

She talks about the happy beautiful appeal She exudes
and the curious stories of convoluted hearts that inhabit her
and the persistent hint of silent inexplicable melancholy

and She invites me lovingly
to come closer
try out her stories and skies
and find my breath again

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