दौड़ दौड़के
अधूरी नींद तोड़के
और अपने होश छोड़के
खर्च की है सुबह
हर ओर से
न जाने कितने शोर से
ज़रा सी जाँ बटोरके
निकले हैं बेवजह
होगी पड़ी यहीं कहीं
जहाँ कहीं वहीं सही
वो खाब की जो रात थी
होगी यूँही गिर पड़ी
अधखुली निगाहों से
रोज़ की तरह
---
2011
too much work, too little sleep
maybe?!
अधूरी नींद तोड़के
और अपने होश छोड़के
खर्च की है सुबह
हर ओर से
न जाने कितने शोर से
ज़रा सी जाँ बटोरके
निकले हैं बेवजह
होगी पड़ी यहीं कहीं
जहाँ कहीं वहीं सही
वो खाब की जो रात थी
होगी यूँही गिर पड़ी
अधखुली निगाहों से
रोज़ की तरह
---
2011
too much work, too little sleep
maybe?!
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