Wednesday, January 13, 2016

280. चाँद बावरी

सहमी सी
निकलती है
हर रात
जब हर कोई सो जाता है

पर झील में
खुद की परछाई देखती है
तो
इतराती है

जानती है
वो कितनी खूबसूरत है

और हाँ,
काफ़ी fashionable
भी तो है

रोज़ style
बदलती रहती है

कभी बादलों की stole
पहनके निकलती है

कभी अपना रोशन चेहरा
काले scarf में
आधा छुपाके
आसमान के ramp पे
catwalk करती है
अकेले में

हर शब
यूँ ही
हिम्मत जुटाके
छुप छुपके
निकलती है
बावरी

डरती है
कहीं
कोई उसे style मारते
देख ना ले

लोग कहते हैं
रातों में
लड़कियों का अकेला 
निकलना ठीक नहीं

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Bravely reclaiming public spaces. 
Sky is as much yours as of others'. 
Night is as much yours as others'.

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