Friday, January 22, 2016

285. इशक़नामा

ये कैसी मुहब्बत है खुदा
यूँ ज़िंदगी सिखा गयी है हमें
साँस लेना मुश्किल है, बड़ा
पर ज़िंदगी सिखा गयी है हमें

--

हसीं अजनबी ज़बाँ बोल पड़े हैं
न तुम समझ पाए न हम
हर लम्हा सदियाँ दौड़ चले हैं
न तुम संभल पाए न हम

हर आह इबादत सी लगे
हाँ, बंदगी सिखा गयी है हमें
ये कैसी मुहब्बत है खुदा
यूँ ज़िंदगी सिखा गयी है हमें

--

दुनियावाले ज़हर जो उगलते हैं
ये क्यूँ - जान पाए न कोई
हम अब तुम्हें पहनके निकलते हैं
हमें पहचान पाए न कोई

अजीब है - बेशर्म सी दुनिया
शर्मिंदगी सिखा गयी है हमें
साँस लेना मुश्किल है, बड़ा
पर ज़िंदगी सिखा गयी है हमें

No comments: