Sunday, January 17, 2016

283. जोधपुर


महरांगढ़ किले से
नीचे देखे जो कोई
तो
एक फैली हुई
बड़ी बुज़ुर्ग सी
बस्ती
दिखती है
हज़ारों किस्म के नीले रंग पहने

ऐसे लगता है
जैसे
सदियों से
किसी दर्ज़ी ने
फ़ितरत बदलते आसमान के
हर लिबास से टुकड़े चुन चुनके
धूप के धागे से
इस नीले मंज़र की रज़ाई
बनाई हो

शायद
सर्दियों में
जब ठंड पड़ती है
रात में,
ये बस्ती
इस मंज़र की नीली रज़ाई
ओढ़के
सो जाती है

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