Sunday, January 17, 2016

282. उदयपुर

शाम को देखो
तो
पिछोला झील के किनारे
बत्तियों से लिपटे
सारी महले ऐसे लगती हैं
जैसे
रेशम की चमकीली घूँघट
पहंके
बहुत सी रानियाँ
झील के किनारों पे
बैठी है
अपने ज़री के लहँगे
बिछाए

और पानियों पे
city palace की लंबी उजली परछाई
ऐसे नज़र आती है
जैसे
एक नृत्यांगना
अपने सर पे
बहुत से मटके सजाके
रानियों के लिए
भवाई नाच रही हो
बड़ी नज़ाकत से

हर शाम
ये सभा
सजती है
यूँ ही

तुम कभी यहाँ आओ
तो ज़रूर देखना 

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